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ग़ज़ल
कलीम आजिज़
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ग़ज़ल
दिल कितना आबाद हुआ जब दीद के घर बरबाद हुए
वो बिछड़ा और ध्यान में उस के सौ मौसम ईजाद हुए
जौन एलिया
नज़्म
मिर्ज़ा 'ग़ालिब'
फ़िक्र-ए-इंसाँ पर तिरी हस्ती से ये रौशन हुआ
है पर-ए-मुर्ग़-ए-तख़य्युल की रसाई ता-कुजा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मुहासरा
मिरे ग़नीम ने मुझ को पयाम भेजा है
कि हल्क़ा-ज़न हैं मिरे गिर्द लश्करी उस के
अहमद फ़राज़
नज़्म
हिमाला
ऐ हिमाला ऐ फ़सील-ए-किश्वर-ए-हिन्दुस्तान
चूमता है तेरी पेशानी को झुक कर आसमाँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
नाला-ए-फ़िराक़
जा बसा मग़रिब में आख़िर ऐ मकाँ तेरा मकीं
आह! मशरिक़ की पसंद आई न उस को सरज़मीं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
सितारों के पयाम आए बहारों के सलाम आए
हज़ारों नामा-हा-ए-शौक़ अहल-ए-दिल के काम आए